नई दिल्ली : बहुत लोग हिंदुत्व का जन्मस्थल ‘भारत’ को मानते हैं लेकिन क्या आप जानते है कि दुनिया का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर भारत में नहीं है। क्या आपको मालुम है कि एक ऐसा देश जहां दुनिया का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर परिसर है और दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक स्मारक भी है लेकिन उस देश में कोई हिंदू नहीं है। आपको आश्चर्य लग रहा होगा लेकिन आज हम आपको ऐसे ही एक देश के बारे में बताने जा रहे है।
यह एक ऐसा देश है जिसके फ्लैग का चिन्ह भी हिन्दुओं का एक मंदिर है। जिसका नाम ‘कंबोडिया‘ है। भारत से करीब 4800 किमी दूर कंबोडिया है। बहुत ही कम लोगों को पता होगा इसके बारे में दुनिया का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर कंबोडिया में स्थित है। इस मंदिर का नाम ‘अंगकोरवाट’ है, इसका पुराना नाम ‘यशोधरपुर‘ था।
यह बात किसी से छुपी नही है कि ‘हिन्दू धर्म’ विश्व का एकमात्र धर्म है जो सबसे प्राचीन है। यह धर्म 12 हजार वर्ष से भी पुराना धर्म है। हिन्दू धर्म में मूर्ति पूजा और ध्यान पर विशेष जोर दिया जाता है। इस बात के कई सबूत पेश किये जाते हैं कि विश्व के कई देशों में पहले सनातन धर्म ही था। वहीं सनातन धर्म जिसको हम सभी हिन्दू धर्म के नाम से जानते हैं।
दुनिया का सबसे बड़ा हिन्दू मंदिर कंबोडिया का अंगकोरवाट
अंकोरवाट मंदिर कंबोडिया देश के अंकोर में स्थित है जो सिमरिप शहर में मीकांग नदी के किनारे बसा है और इसका फैलाव सैकड़ों वर्ग मील में फैला हुआ है। यह हिन्दू देवता विष्णु का मंदिर है जबकि इसके पूर्ववर्ती शासको ने यहाँ बड़े-बड़े शिव के मंदिरो का निर्माण करवाया था। इस मंदिर का निर्माण राजा सूर्यवर्मन द्वितीय के शासन काल 1112 से 1153 ईस्वी के दौरान बनवाया गया था। यह दुनिया के सबसे प्रसिद्ध पर्यटक स्थलों में से एक है। इस मंदिर के चित्र को कंबोडिया के राष्ट्रीय ध्वज में छापा गया है।
कंबोडिया दक्षिण पूर्व एशिया का प्रमुख देश है, जिसकी जनसँख्या करीब 1.5 करोड़ है। कंबोडिया में राजतंत्र है, कंबोडिया की राजधानी नामपेन्ह है। नामपेन्ह कंबोडिया का सबसे बड़ा शहर कहलाता है। अंकोरवाट मंदिर को यूनेस्को की विश्व धरोहर में भी शामिल किया गया है। इस मंदिर को मेरू पर्वत का सिंबल माना जाता है। इसकी दीवारों पर भारतीय धर्म ग्रंथों के किस्से भी उकेरे हुए मिलेंगे। अप्सराओं, देवताओं राक्षसों से जुड़ी कहानियां यहां देखने को मिलती हैं। सनातन धर्म को मानने वाले यहां आना पसंद करते हैं। इसे बनाने में पचास से एक करोड़ रेत के पत्थर इस्तेमाल किए गए थे। हर पत्थर का वजन डेढ़ टन है। गौरतलब है कि इतनी संख्या में पत्थरों का इस्तेमाल मिस्र के पिरामिड में भी नहीं हुआ।
कंबोडिया देश से हिन्दू लोग कहां गायब हो गये?
जिस देश में दुनिया का सबसे बड़ा हिन्दू मंदिर है जहाँ 100 फीसदी लोग हिन्दू धर्म को मानते थे तो आज वहां से हिन्दू लोग कहाँ गायब हो गये? दरअशल इतिहास के अनुसार लिखा गया है कि लोगों ने दूसरे-दूसरे धर्मों को अपना लिया है। लेकिन क्या यह अपने आप हुआ होगा? इसका जवाब नहीं में आता है। आज इस देश में गिनती के ही हिन्दू लोग बचे हुए हैं। कहा जाता है सालों पहले यहाँ एक गन्दा खेल खेला गया जिसमें हिन्दू लोगों का धर्म परिवर्तन करवाया गया। लेकिन आज भी यह लोग दिल से खुद को हिन्दू ही मानते हैं।
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