Sunday, May 26, 2024

जानें, क्यों मनाया जाता है छठ महापर्व, क्या है छठ पूजा का महत्व और कथा?

छठ एक पर्व ही नहीं बल्कि महापर्व है जो कुल चार दिन तक चलता है। कैसे शुरू हुआ छठ पूजा और क्यों मनाया जाता है, क्या है छठ पूजा का महत्व और छठ पूजा व्रत कथा...

chhath puja worship - DuniyaSamachar

नई दिल्ली : हिंदुओं के सबसे बड़े पर्व दीपावली को पर्वों की माला माना जाता है। कार्तिक मास की अमावस्या को दिवाली मनाने के 6 दिन बाद कार्तिक शुक्ल को छठ पूजा मनाए जाने के कारण इसे ‘छठ’ कहा जाता है। छठ पर्व षष्ठी का अपभ्रंश है। छठ केवल एक पर्व ही नहीं है बल्कि महापर्व है जो कुल चार दिन तक चलता है।

नहाय खाय के साथ ‘छठ पूजा‘ की शुरुआत होती है जोकि अगले चार दोनों तक चलती है। इस त्योहार में साफ-सफाई का खास ध्यान रखा जाता है। इस त्योहार में गलती की कोई जगह नहीं होती। इस व्रत को करने के नियम इतने कठ‍िन हैं, इस वजह से इसे महापर्व अौर महाव्रत के नाम से संबाेध‍ित किया जाता है।

कौन हैं छठी मइया और क्यों की जाती है इनकी पूजा…

हिंदू धर्म में मान्यता है कि छठ देवी सूर्य देव की छोटी बहन हैं। छठ देवी के बारे में मान्यता है कि यह बड़ी ही दुलारी होती है और छोटी-छोटी बातों पर नाराज हो जाती हैं। छठ देवी को प्रसन्न करने के लिए सूर्य देव को खुश किया जाता है। इनकी उपासना गंगा-यमुना या किसी भी नदी, सरोवर के तट पर की जाती है।

षष्ठी मां यानी कि छठ माता बच्चों की रक्षा करने वाली देवी हैं। इस त्योहार में देवी षष्ठी माता एवं भगवान सूर्य को प्रसन्न करने के लिए स्त्री और पुरुष दोनों ही व्रत रखते हैं। इस व्रत को करने से संतान को लंबी आयु का वरदान मिलता है। इसमें गंगा स्नान का महत्व सबसे अधिक होता हैं।

पढ़ें : छठ पूजा में भूलकर भी न करें ये 12 गलतियां, नहीं तो…

मार्कण्डेय पुराण में इस बात का उल्लेख मिलता है कि सृष्ट‍ि की अध‍िष्ठात्री प्रकृति देवी ने अपने आप को छह भागों में विभाजित किया है। इनके छठे अंश को सर्वश्रेष्ठ मातृ देवी के रूप में जाना जाता है, जो ब्रह्मा की मानस पुत्री हैं।

वो बच्चों की रक्षा करने वाली देवी हैं। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को इन्हीं देवी की पूजा की जाती है। साथ ही श‍िशु के जन्म के छह दिनों बाद इन्हीं देवी की पूजा की जाती है। इनकी प्रार्थना से बच्चे को स्वास्थ्य, सफलता और दीर्घ आयु का आशीर्वाद मिलता है। जानकारों की मानें तो पुराणों में इन्हीं देवी का नाम कात्यायनी बताया गया है, जिनकी नवरात्रि की षष्ठी तिथ‍ि को पूजा की जाती है।

जानें क्यों की जाती है छठ पूजा और क्या है इसका महत्व…

छठ महापर्व पहले सिर्फ बिहार तक ही सीमित था, लेकिन अब यूपी, झारखंड, दिल्ली समेत कई जगहों पर यह धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस त्योहार को भारत के पड़ोसी देश नेपाल में भी हर्षोल्लास एवं नियम निष्ठा के साथ मनाया जाता है।

छठ पर्व कैसे शुरू हुआ इसके पीछे कई ऐतिहासिक कहानियां प्रचलित हैं। लोक मान्यताओं के अनुसार सूर्य षष्ठी या छठ व्रत की शुरुआत रामायण काल से हुई थी। इस व्रत को सीता माता समेत द्वापर युग में द्रौपदी ने भी किया था। पुराण में छठ पूजा के पीछे की कहानी राजा प्रियव्रत को लेकर है। जो इस प्रकार से है…

पढ़ें छठ पूजा व्रत कथा…

कथा के अनुसार प्रियव्रत नाम के एक राजा थे। उनकी पत्नी का नाम मालिनी था। लेकिन दोनों की कोई संतान नहीं थी। इस बात से राजा और उसकी पत्नी बहुत दुखी रहते थे। एक दिन उन्होंने संतान प्राप्ति की इच्छा से महर्षि कश्यप द्वारा पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया। इस यज्ञ के फलस्वरूप रानी गर्भवती हो गईं।

लेकिन नौ महीने बाद संतान सुख को प्राप्त करने का समय जब आया तो रानी को मरा हुआ पुत्र प्राप्त हुआ। इस बात का पता चलने पर राजा को बहुत दुख हुआ। पुत्र वियोग में राजा प्रियव्रत ने आत्महत्या का मन बना लिया। लेकिन जैसे ही राजा ने आत्महत्या करने की कोशिश की तो उनके सामने एक सुंदर देवी प्रकट हुईं।

देवी ने राजा को कहा कि ‘मैं षष्टी देवी हूं। क्योंकि वो सृष्टि की मूल प्रवृति के छठे अंश से उत्पन्न हुई हैं, इसी कारण वो षष्ठी कहलातीं हैं। मैं लोगों को पुत्र का सौभाग्य प्रदान करती हूं। इसके अलावा जो सच्चे भाव से मेरी पूजा करता है, मैं उसके सभी प्रकार के मनोरथ को पूर्ण कर देती हूं। यदि तुम मेरी पूजा करोगे तो मैं तुम्हें पुत्र रत्न प्रदान करूंगी।’ उन्होंने राजा को उनकी पूजा करने और दूसरों को पूजा के लिए प्रेरित करने को कहा।

देवी की बातों से प्रभावित होकर राजा ने उनकी आज्ञा का पालन किया। राजा और उनकी पत्नी ने कार्तिक शुक्ल की षष्टी तिथि के दिन देवी षष्टी की पूरे विधि-विधान के साथ पूजा की। इस पूजा के फलस्वरूप उन्हें एक सुंदर पुत्र की प्राप्ति हुई। तभी से छठ का पावन पर्व मनाया जाने लगा।

वहीं छठ व्रत के संदर्भ में एक अन्य कथा भी प्रचलित है जोकि महाभारत काल से है…. अगले पेज पर पढ़ें…

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