आरती का अर्थ है पूरी श्रद्धा के साथ परमात्मा की भक्ति में डूब जाना। भगवान को प्रसन्न करना। इसमें परमात्मा में लीन होकर भक्त अपने देव की सारी बलाए स्वयं पर ले लेता है और भगवान को स्वतन्त्र होने का अहसास कराता है। आरती आपके द्वारा की गई पूजा में आई छोटी से छोटी कमी को दूर कर देती है।
आरती को नीराजन भी कहा जाता है। नीराजन का अर्थ है विशेष रूप से प्रकाशित करना। यानी कि देव पूजन से प्राप्त होने वाली सकारात्मक शक्ति हमारे मन को प्रकाशित कर दें। व्यक्तित्व को उज्जवल कर दें। बिना मंत्र के किए गए पूजन में भी आरती कर लेने से पूर्णता आ जाती है। आरती पूरे घर को प्रकाशमान कर देती है, जिससे कई नकारात्मक शक्तियां घर से दूर हो जाती हैं। जीवन में सुख-समृद्धि के द्वार खुलते हैं।
भगवान श्री राम को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। हिन्दू धर्मानुसार भगवान राम विष्णु के दशावतारों में से सातवें अवतार हैं। मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के नाम को ही मंत्र माना जाता है। “राम” नाम का जाप करने मात्र से मनुष्य के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। श्री रामचन्द्रजी को स्मरण करने के लिए निम्न आरती का भी पाठ किया जाता है। पढ़िए भगवान श्री राम की ये आरती।
॥ भगवान श्री राम जी की आरती ॥
श्री रामचंद्र कृपालु भजु मन, हरण भव भय दारुणं ।
नव कंजलोचन, कंज मुख, करकंज, पद कंजारुणं ॥
कंदर्प अगणित अमित छबि नवनीत नीरद सुंदरं ।
पटपीत मानहु तडित रूचि शुचि नौमि जनक सुतावरं ॥
भजु दीनबंधु दिनेश दानव दैत्यवंश निकंदनं ।
रघुनन्द आनंदकंद कौशलचंद दशरथ नंदनं ॥
श्री रामचंद्र कृपालु भजु मन, हरण भव भय दारुणं ॥
सिरा मुकुट कुंडल तिलक चारू उदारु अंग विभूषणं ।
आजानुभुज शर चापधर संग्रामजित खरदूषणं ॥
इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनं ।
मम ह्रदय कंच निवास कुरु कामादि खलदल गंजनं ॥
मनु जाहिं राचेउ मिलहि सो बरु सहज सुन्दर सांवरो ।
करुना निधान सुजान सिलु सनेहु जानत रावरो ॥
एही भांति गौरि असीस सुनि सिया सहित हिय हरषीं अली ।
तुलसी भवानिहि पूजी पुनिपुनि मुदित मन मंदिर चली ॥
श्री रामचंद्र कृपालु भजु मन, हरण भव भय दारुणं ॥
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