Sunday, May 26, 2024

भगवान श्री हनुमान की आरती

भगवान श्री हनुमान की आरती : हनुमान को भगवान शिव का अवतार माना जाता है। भगवान राम के परम भक्त माने जाने वाले हनुमान का स्मरण करने से सभी डर दूर हो जाते हैं।

भगवान श्री हनुमान, Lord Shri Hanuman - DuniyaSamachar

आरती का अर्थ है पूरी श्रद्धा के साथ परमात्मा की भक्ति में डूब जाना। भगवान को प्रसन्न करना। इसमें परमात्मा में लीन होकर भक्त अपने देव की सारी बलाए स्वयं पर ले लेता है और भगवान को स्वतन्त्र होने का अहसास कराता है। आरती आपके द्वारा की गई पूजा में आई छोटी से छोटी कमी को दूर कर देती है।

आरती को नीराजन भी कहा जाता है। नीराजन का अर्थ है विशेष रूप से प्रकाशित करना। यानी कि देव पूजन से प्राप्त होने वाली सकारात्मक शक्ति हमारे मन को प्रकाशित कर दें। व्यक्तित्व को उज्जवल कर दें। बिना मंत्र के किए गए पूजन में भी आरती कर लेने से पूर्णता आ जाती है। आरती पूरे घर को प्रकाशमान कर देती है, जिससे कई नकारात्मक शक्तियां घर से दूर हो जाती हैं। जीवन में सुख-समृद्धि के द्वार खुलते हैं।

हिंदू धर्म में हनुमान जी को भगवान शिव का अवतार माना जाता है। भगवान हनुमान जी को अनेक नामों से पुकारा जाता है, जिसमें से उनका एक नाम ‘पवन पुत्र’ भी है। भगवान श्री राम के परम भक्त माने जाने वाले हनुमान जी का स्मरण करने से सभी डर दूर हो जाते हैं। भगवान हनुमान की आराधना के लिए निम्न आरती का पाठ करना चाहिए। पढ़िए भगवान श्री हनुमान की ये आरती।

॥ भगवान श्री हनुमान जी की आरती ॥

मनोजवं मारुत तुल्यवेगं, जितेन्द्रियं, बुद्धिमतां वरिष्ठम् ॥
वातात्मजं वानरयुथ मुख्यं, श्रीरामदुतं शरणम प्रपद्धे ॥

आरति कीजै हनुमान लला की । दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
आरति कीजे हनुमान लला की…

जाके बल से गिरिवर कांपै । रोग दोष जा के निकट न झापे ॥
अंजनी पुत्र महा बलदाई । सन्तन के प्रेम सदा सहाई ॥
आरति कीजे हनुमान लला की…

दे बीरा रघुनाथ पठाये । लंका जारि सिया सुधि लाये ॥
लंका सो कोट समुद्र सी खाई । जात पवनसुत बार न लाई ॥
लंक जारि असुर संहारे । सिया रामजी के काज सँवारे ॥
आरति कीजे हनुमान लला की…

लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे । आनि सजीवन प्रान उबारे ॥
पैठि पताल तोरि यमकारे । अहिरावन की भुजा उखारे ॥
बायें भुजा असुर दल मारे । दहिने भुजा सन्तजन तारे ॥
आरति कीजे हनुमान लला की…

सुर नर मुनि आरती उतारे । जै जै जै हनुमान उचारे ॥
कंचन थार कपूर लौ छाई । आरति करत अंजना माई ॥
जो हनुमान जी की आरती गावै । बसि बैकुंठ परम पद पावै ॥
आरति कीजे हनुमान लला की…

लंका विध्वंश किये रघुराई । तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई ॥
आरती किजे हनुमान लला की । दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
आरति कीजे हनुमान लला की…

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Web Title: भगवान श्री हनुमान की आरती

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