आरती का अर्थ है पूरी श्रद्धा के साथ परमात्मा की भक्ति में डूब जाना। भगवान को प्रसन्न करना। इसमें परमात्मा में लीन होकर भक्त अपने देव की सारी बलाए स्वयं पर ले लेता है और भगवान को स्वतन्त्र होने का अहसास कराता है। आरती आपके द्वारा की गई पूजा में आई छोटी से छोटी कमी को दूर कर देती है।
आरती को नीराजन भी कहा जाता है। नीराजन का अर्थ है विशेष रूप से प्रकाशित करना। यानी कि देव पूजन से प्राप्त होने वाली सकारात्मक शक्ति हमारे मन को प्रकाशित कर दें। व्यक्तित्व को उज्जवल कर दें। बिना मंत्र के किए गए पूजन में भी आरती कर लेने से पूर्णता आ जाती है। आरती पूरे घर को प्रकाशमान कर देती है, जिससे कई नकारात्मक शक्तियां घर से दूर हो जाती हैं। जीवन में सुख-समृद्धि के द्वार खुलते हैं।
हिन्दू धर्म में धन-वैभव की देवी लक्ष्मी जी को आदि शक्ति का रूप माना जाता है। विष्णुप्रिया लक्ष्मी जी की श्रद्धा पूर्वक आराधना करने से मनुष्य को धन और स्मृद्धि की प्राप्ति होती है। माता लक्ष्मी का नित ध्यान करने के लिए विभिन्न मंत्रों के साथ आरती का पाठ किया जाता है। लक्ष्मी जी की आराधना के लिए निम्न आरती का पाठ करना चाहिए। पढ़िए श्री लक्ष्मी जी की ये आरती।
॥ देवी वन्दना ॥
महालक्ष्मी नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं सुरेश्र्वरी॥
हरिप्रिये नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं दयानिधे॥
॥ श्री लक्ष्मी जी की आरती ॥
ऊँ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशदिन सेवत, हर विष्णु विधाता॥
ऊँ जय लक्ष्मी माता …
ब्रह्माणी रूद्राणी कमला, तुम ही जगमाता।
सूर्य चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
ऊँ जय लक्ष्मी माता …
दुर्गा रूप निरंजनि, सुख सम्पति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि सिद्धि पाता॥
ऊँ जय लक्ष्मी माता …
तुम पाताल निवासिनि, तुम ही शुभ दाता।
कर्म प्रभाव प्रकाशक, भवनिधि से त्राता॥
ऊँ जय लक्ष्मी माता …
जिस घर में तुम रहती सब सद्गुण आता।
सब सुंदर हो जाता, मन नहीं घबराता॥
ऊँ जय लक्ष्मी माता …
तुम बिन यज्ञ ना होता, वस्त्र न कोई पाता।
खान पान का वैभव, सब तुमसे आता॥
ऊँ जय लक्ष्मी माता …
शुभ गुण मंदिर सुंदर क्षीरनिधि जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन ,कोई नहीं पाता॥
ऊँ जय लक्ष्मी माता …
महालक्ष्मी जी की आरती ,जो कोई नर गाता।
उँर आंनद समाता, पाप उतर जाता॥
ऊँ जय लक्ष्मी माता …
स्थिर चर जगत बचावै ,कर्म प्रेर ल्याता।
रामप्रताप मैया जी की शुभ दृष्टि पाता॥
ऊँ जय लक्ष्मी माता …
ॐ जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशदिन सेवत, हर विष्णु विधाता॥
ऊँ जय लक्ष्मी माता …
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