आरती का अर्थ है पूरी श्रद्धा के साथ परमात्मा की भक्ति में डूब जाना। भगवान को प्रसन्न करना। इसमें परमात्मा में लीन होकर भक्त अपने देव की सारी बलाए स्वयं पर ले लेता है और भगवान को स्वतन्त्र होने का अहसास कराता है। आरती आपके द्वारा की गई पूजा में आई छोटी से छोटी कमी को दूर कर देती है।
आरती को नीराजन भी कहा जाता है। नीराजन का अर्थ है विशेष रूप से प्रकाशित करना। यानी कि देव पूजन से प्राप्त होने वाली सकारात्मक शक्ति हमारे मन को प्रकाशित कर दें। व्यक्तित्व को उज्जवल कर दें। बिना मंत्र के किए गए पूजन में भी आरती कर लेने से पूर्णता आ जाती है। आरती पूरे घर को प्रकाशमान कर देती है, जिससे कई नकारात्मक शक्तियां घर से दूर हो जाती हैं। जीवन में सुख-समृद्धि के द्वार खुलते हैं।
हिन्दू धर्म के अनुसार मान्यता है कि मां दुर्गा जी इस भौतिक संसार में सभी सुखों की दात्री हैं। आदि शक्ति दुर्गा मां का स्थान सर्वोपरि है। उनकी भक्ति कर भक्त अपनी सभी मनोकामनाएं पूर्ण कर सकते हैं। साथ ही साधकों को देवी दुर्गा ही साधनाएं प्रदान करती हैं। मां दुर्गा की साधना में लोग मां की आरती का भी पाठ करते हैं। मां दुर्गा की आराधना के लिए निम्न आरती का पाठ करना चाहिए। पढ़िए श्री दुर्गा माता की ये आरती।
॥ देवी वन्दना ॥
या देवी सर्वभूतेषु, शक्तिरूपेण संस्थिता॥
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
॥ श्री दुर्गा माता की आरती ॥
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशि दिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥
जय अम्बे गौरी …
मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को।
उज्ज्वल से दोउ नैना, चन्द्रवदन नीको॥
जय अम्बे गौरी …
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै॥
जय अम्बे गौरी …
केहरि वाहन राजत, खड़ग खप्पर धारी।
सुर-नर मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी॥
जय अम्बे गौरी …
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।
कोटि चन्द्र दिवाकर, राजत सम ज्योति॥
जय अम्बे गौरी …
शुम्भ निशुम्भ विदारे, महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती॥
जय अम्बे गौरी …
चण्ड-मुण्ड संहारे, शौणित बीज हरे।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
जय अम्बे गौरी …
ब्रह्माणी, रुद्राणी, तुम कमला रानी।
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी॥
जय अम्बे गौरी …
चैंसठ योगिनी गावत, नृत्य करत भैरु।
बाजत ताल मृदंग, अरु बाजत डमरू॥
जय अम्बे गौरी …
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।
भक्तन की दुःख हरता, सुख सम्पत्ति करता॥
जय अम्बे गौरी …
भुजा चार अति शोभित, वरमुद्रा धारी।
मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी॥
जय अम्बे गौरी …
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति॥
जय अम्बे गौरी …
मां अम्बे जी की आरती, जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख-सम्पत्ति पावे॥
॥जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी॥
अगले पेज पर देखें मां दुर्गा की आरती का वीडियो :-
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