आरती का अर्थ है पूरी श्रद्धा के साथ परमात्मा की भक्ति में डूब जाना। भगवान को प्रसन्न करना। इसमें परमात्मा में लीन होकर भक्त अपने देव की सारी बलाए स्वयं पर ले लेता है और भगवान को स्वतन्त्र होने का अहसास कराता है। आरती आपके द्वारा की गई पूजा में आई छोटी से छोटी कमी को दूर कर देती है।
आरती को नीराजन भी कहा जाता है। नीराजन का अर्थ है विशेष रूप से प्रकाशित करना। यानी कि देव पूजन से प्राप्त होने वाली सकारात्मक शक्ति हमारे मन को प्रकाशित कर दें। व्यक्तित्व को उज्जवल कर दें। बिना मंत्र के किए गए पूजन में भी आरती कर लेने से पूर्णता आ जाती है। आरती पूरे घर को प्रकाशमान कर देती है, जिससे कई नकारात्मक शक्तियां घर से दूर हो जाती हैं। जीवन में सुख-समृद्धि के द्वार खुलते हैं।
मान्यता है कि ज्ञान की देवी मां शारदा की आराधना करने से ज्ञान की प्राप्ति होती है। हिन्दू धर्म के अनुसार मां शारदा ना केवल ज्ञान की देवी हैं बल्कि संगीत, कला आदि की भी देवी हैं। इनकी पूजा करने से मनुष्य के जीवन से अज्ञानता का अंधेरा दूर होता है। शारदा माता की आराधना के लिए निम्न आरती का पाठ करना चाहिए। पढ़िए मां शारदा की ये आरती।
॥ मां शारदा की आरती ॥
हे शारदे मां, हे शारदे मां अज्ञानता से हमें तार दे मां
तू स्वर की देवी, है संगीत तुझसे,
हर शब्द तेरा, है हर गीत तुझसे,
हम हैं अकेले, हम हैं अधूरे,
तेरी शरण हम, हमें प्यार दे मां॥
हे शारदे मां, हे शारदे मां अज्ञानता से हमें तार दे मां…
मुनियों ने समझी, गुणियों ने जानी,
वेदों की भाषा, पुराणों की बानी,
हम भी तो समझें, हम भी तो जानें,
विद्या का हमको अधिकार दे मां॥
हे शारदे मां, हे शारदे मां अज्ञानता से हमें तार दे मां….
तु श्वेतवर्णी, कमल पे बिराजे,
हाथों में वीणा, मुकुट सर पे साजे,
मन से हमारे, मिटा दे अंधेरे,
हमको उजालों का संसार दे मां॥
हे शारदे मां, हे शारदे मां अज्ञानता से हमें तार दे मां….
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