आरती का अर्थ है पूरी श्रद्धा के साथ परमात्मा की भक्ति में डूब जाना। भगवान को प्रसन्न करना। इसमें परमात्मा में लीन होकर भक्त अपने देव की सारी बलाए स्वयं पर ले लेता है और भगवान को स्वतन्त्र होने का अहसास कराता है। आरती आपके द्वारा की गई पूजा में आई छोटी से छोटी कमी को दूर कर देती है।
आरती को नीराजन भी कहा जाता है। नीराजन का अर्थ है विशेष रूप से प्रकाशित करना। यानी कि देव पूजन से प्राप्त होने वाली सकारात्मक शक्ति हमारे मन को प्रकाशित कर दें। व्यक्तित्व को उज्जवल कर दें। बिना मंत्र के किए गए पूजन में भी आरती कर लेने से पूर्णता आ जाती है। आरती पूरे घर को प्रकाशमान कर देती है, जिससे कई नकारात्मक शक्तियां घर से दूर हो जाती हैं। जीवन में सुख-समृद्धि के द्वार खुलते हैं।
हिन्दू धर्म में मां गंगा को सभी नदियों में सबसे पवित्र और पूज्यनीय माना गया है। इनके पावन जल में स्नान करने से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और मनुष्य के जन्मों के पाप धुल जाते हैं। मां गंगा के घाट पर हर किनारे पर होने वाली मां गंगा की आरती हर किसी के जीवन को सुख और समृद्धि से भर देती है। गंगा माता की आराधना के लिए निम्न आरती का पाठ करना चाहिए। पढ़िए मां गंगा की ये आरती।
॥ गंगा माता की आरती ॥
ऊँ जय गंगे माता, श्री जय गंगे माता।
जो नर तुमको ध्यावत, मनवंछित फल पाता॥
ऊँ जय गंगे माता …
चन्द्र सी ज्योत तुम्हारी, जल निर्मल आता।
शरण पड़े जो तेरी, सो नर तर जाता॥
ऊँ जय गंगे माता …
पुत्र सगर के तारे, सब जग को ज्ञाता।
कृपा दृष्टि तुम्हारी, त्रिभुवन सुख दाता॥
ऊँ जय गंगे माता …
एक ही बार भी जो नर तेरी शरणगति आता।
यम की त्रास मिटा कर, परम गति पाता॥
ऊँ जय गंगे माता …
आरती मात तुम्हारी जो जन नित्य गाता।
दास वही जो सहज में मुक्ति को पाता॥
ऊँ जय गंगे माता …
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