Thursday, May 23, 2024

कोरोना वायरस: जानें आइसोलेशन, क्वारंटाइन और सोशल डिस्टेंसिंग में क्या है फर्क

कोरोना वायरस के अलावा क्वारंटाइन, आइसोलेशन और सोशल डिस्टेंसिंग की बात तो सब कर रहे हैं, लेकिन क्या इसका मतलब मालुम है? इनके अलग-अलग मायने हैं, दूर करें भ्रम

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3) क्या है सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) का मतलब

कोरोना वायरस (Corona Virus) के सामने आने के बाद सोशल डिस्टेंसिंग शब्द बेहद चर्चा में रहा है। जैसा कि इस शब्द से ही मालूम चलता है कि इसका हिंदी मतलब है सामाजिक दूरी या सामाजिक अलगाव। और ये सामाजिक अलगाव हर आदमी के लिए है। किसी को कोरोना हो या न हो, किसी को कोई बीमारी हो या न हो, किसी को सर्दी-जुकाम हो या न हो, कोरोना के प्रकोप के दौरान हर एक शख्स को सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) की सलाह दी जा रही है और इसी के लिए लॉकडाउन (Lockdown) जैसा सख्त फैसला लेना पड़ा है।

सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) में क्या करें?

इसमें आपको हर उस जगह पर जाने से बचने की कोशिश करनी चाहिए, जहां लोग इकट्ठे होते हों। जैसे स्कूल, कॉलेज, लाइब्रेरी, प्लेग्राउंड, पार्क, मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा, मॉल, सिनेमाघर, थियेटर। कोई भी जगह, जहां लोगों के इकट्ठा होने की उम्मीद है, वहां नहीं जाना चाहिए।

कोरोना वायरस किसी पीड़ित के खांसने या छींकने से दूसरे में फैलता है जो हवा के द्वारा फैलता है, मतलब व्यक्ति की श्वास से शरीर में प्रवेश करता है और फेफ़डो को अतिक्रमित करता है एवं हृदय की मसल्स को नुकसान पहुंचता है। इसलिए सोशल डिस्टेंसिंग की सलाह दी जा रही है, जिसमें आपको बेहद ज़रूरी होने पर दो आदमियों के बीच कम से कम तीन मीटर की दूरी रखना होता है।

बचाव ही इलाज़

दरअसल आपकी थोड़ी सी असावधानी आपके और आपसे जुड़े कई लोगों के लिए परेशानी का सबब बन सकती है। इसलिए आपको डरना नहीं है पर बहुत सावधान रहने की जरूरत है। इस वायरस (Covid-19) से ना कोई उन्नत टेक्नोलॉजी और ना ही पैसा इससे जीत पा रहा है। अभी इस वायरस का “बचाव ही इलाज़” है। भारत सरकार इसके लिए हर संभव प्रयासरत है।

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