नई दिल्ली : बहुत समय पुरानी बात है, एक बहुत घना जंगल हुआ करता था। एक बार किन्हीं कारणों से पूरे जंगल में भीषण आग लग गई। सभी जानवर देख के डर रहे थे की अब क्या होगा?
थोड़ी ही देर में जंगल में भगदड़ मच गई, सभी जानवर डर के इधर से उधर भाग रहे थे। पूरा जंगल अपनी अपनी जान बचाने में लगा हुआ था। उस जंगल में एक नन्ही चिड़िया रहा करती थी। उसने देखा क़ि सभी लोग भयभीत हैं जंगल में आग लगी हुई है, मुझे लोगों की मदद करनी चाहिए।
यही सोचकर वह जल्दी ही पास की नदी में गई और चोच में पानी भरकर ले लाई और आग में डालने लगी। इसी तरह नन्ही चिड़िया बार बार नदी में जाती और अपनी चोच में पानी लेकर आग में डाल रही थी।
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उसी वक़्त पास से ही एक उल्लू गुजर रहा था। उसने नन्ही चिड़िया की इस हरकत को देखा और मन ही मन सोचने लगा बोला क़ि ये चिड़िया कितनी मूर्ख है, इतनी भीषण आग को ये चोंच में पानी भरकर कैसे बुझा सकती है।
यही सोचकर वह चिड़िया के पास गया और बोला कि तुम मूर्ख हो इस तरह से आग नहीं बुझाई जा सकती है।
नन्ही चिड़िया ने बहुत विनम्रता के साथ उत्तर दिया- “मुझे पता है कि मेरे इस प्रयास से कुछ नहीं होगा लेकिन मुझे अपनी तरफ से best करना है, आग कितनी भी भयंकर हो लेकिन मैं अपना प्रयास नहीं छोड़ूँगी।” उल्लू चिड़िया की यह सुनकर बहुत प्रभावित हुआ।
तो मित्रों यही बात हमारे जीवन पर भी लागू होती है। जब कोई परेशानी आती है तो इंसान घबराकर हार मान लेता है लेकिन हमें बिना डरे प्रयास करते रहना चाहिए यही इस कहानी की शिक्षा है।
बच्चों की कहानियां – नन्ही चिड़िया की सीख
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